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Friday, July 4, 2014

क्या है इश्क़

अरसे हो गए जब दुनिया को ऐलान करते
की हाँ इश्क़ में हैं हम,
आज सोचते हैं,
कमबख्त ये इश्क़ आखिर है क्या

कमसिन उम्र में,
जब पेट में तितलियाँ उड़ा करती थीं
उनके ज़िक्र के नाम से,
सोचते थे इश्क़ जो है यही है ;

जो थोड़ा होश संभाला
और जो खुद के गुनाहों का दौर आया
उन्होंने जो गुनाह नज़रअंदाज़ कर दिए,
सोचते थे इश्क़ जो है यही है;

जब इश्क़ भी इश्क़ के गुनाहों में संग गुनहगार हो गया,
और दोनों ने मिल के उसे दुनिया से छुपाया,
तब सोचा हो न हो, इश्क़ यही होगा;

मगर आज,
जब इश्क़ की आखिरी
मंज़िल पाने का मुकाम आया;
तब सोचते हैं,
कहीं ये महज़ सालों की आदत तो नहीं?

क्युकी तितलियाँ तो अब,
दूर दूर तक नहीं;
और गुनाह छुपाने का हुनर भी
खूब सीख गए हैं;

आज जब अरसे हो गए
उस ऐलान को ,
तब सोचते हैं,
कमबख्त ये इश्क़ आखिर है क्या!!   

Monday, December 31, 2012

पुरानी किताब

पुराने किस्सों से सराबोर 
पीले पड़  चुके पन्नो वाली उस किताब को 
मैं एक दिन यूँ ही  पलट के देख रही थी , 
हर पन्ने की सिलवट के साथ 
उस सिलवट की वजह सोच रही थी;

यादें ज्यादा थी और शब्द कम 
उस रात मैं भी न जाने क्या क्या सोच रही थी 

बहुत देर बाद 
जब यादों की नींद से जागी 
महसूस हुआ अब हकीकत में लौटना चहिये 
पन्ने पपड़ा गए थे 
मैंने किताब को किसी तरह बंद कर 
एक भारी ताले से दबा दिया 

पर उस रात बारिश हुई थी 
तेज़ हवा से ताला सरक गया था 
और 
एक अनचाहा सा पीला पन्ना 
मेरे सामने खुल गया था !!

Tuesday, July 31, 2012

डायरी


There are times when every writer suffers through a Creative Blockage, the time when your mind becomes blank, no incoming outgoing of ideas, thoughts , feelings. same happened with me! Then My Diary, my best friend came to my rescue! This piece of poetry highlights how painful at times it gets for a write not able to write something for days!! 


The Diary
कुछ भूल रही हूँ शायद, या फिर कुछ और सोच रही हूँ

पढ़ रही हूँ कुछ, और तस्वीर कोई और देख रही हूँ

मन भटका है, आजकल यूँ ही कोरी घूम रही हूँ

आदतें छूट रही हैं, पर मैं क्यों उन्हें छूटने दे रही हूँ 

हाँ याद आया

एक डायरी रक्खा करती थी पास हमेशा

जो अच्छा लगता था, झट से उसमे लिख लेती थी

आज जब ढूंदा  उसको , तो याद आया वो तो घर पे रह गयी 

हाँ याद आया

अबतक यही भूल रही थी 
यही आदत थी, जो छूट रही थी