Sunday, August 26, 2012

मय


कभी भुलाने के लिए पीते हैं कभी सहलाने के लिए 

और कभी पी कर जो लिखी थी उसे मिटाने के लिए

3 comments:

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  2. पेश आना तुम तमीज़से आगे,ऐ साकी
    यह मयख़ाना तेरा भी है, मेरा भी !

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