Thursday, February 26, 2015

असमंजस


@kaveeshaklicks #insta

असमंजस हैं बड़े,
किन धूप छांव में हम खड़े
शिकवे हैं या शिकवे होने के गिले
इतने खामोश क्यूँ हैं सिलसिले...?

कब से हुए यहीं हम ठहरे,
हम बदले तुम बदले,
फिर भी हम असमंजस में पड़े ..;

मायूसी और मुस्कुराहटें दोनों नहीं,
बस ख़ामोशी है और कुछ नहीं,
उलझे उलझे दिन हैं सादी सादी रातें,
दोनों वही हैं मगर दोनों चुप खड़े;

असमंजस हैं बड़े...!!!



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