Tuesday, July 3, 2012

इबारतें (1)

Ruhaniyatein
कुछ फीकी इबारतें ,
अधूरी इबादतें दोहरा देती हैं ;
मेरे हज की गलियों के नक्श,
नाखून से खुरच के ,
देखो कैसे  बेरहमी  से उघाड़  देती है ;
एक एक सिलवट हर आहट की,
इन पन्नो में दर्ज हैं ,
कुछ बेबाक इबारतें ,
देखो कैसे नए ही नक्श बना देती हैं ;
अधूरी इबादतें अधूरी रह जाती हैं 
इबारतें बस,
नई लिख दी जाती हैं!!  

इबारतें : Writing
इबादतें: Prayers
नक्श:Map
बेबाक:Frank

4 comments: