मैं तेनु फ़िर मिलांगी
कभी एक सवाल के जवाब में उभरांगी
कभी एक खयाल की तस्वीर में उतरांगी
मैं यहीं कहीं हर कही
हर जगह तेनु मिलांगी
तेरे दिल के किसी सूखे एहसास में
या कभी तेरी रब से अरदास में
मैं तेनु फ़िर मिलांगी
तू जिन्ना मर्ज़ी छुपा तेरा मुझ से वास्ता नहीं
पर मेरे कोल रब दस्या,
तू मेरा ही रहना होर किसी दा होना नहीं
तू झूठ बोल हज़ार, दिखा लाख तकरार
पर मेरा तुझसे मन मिलया,
तो तक़दीर दा फ़िर किस्सा नही
मैं तो तेनु फ़िर मिलांगी
©kaveesha
यादाश्त बहुत अच्छी नहीं है मेरी, बादाम रोज़ भिगोये जाते हैं
न ही बहुत ज़्यादा किसी लेख़क, कवि की तारीफ़ करी
लेकिन कुछ नज़्में ऐसी छाप छोड़ती हैं ,कि कभी यूँ याद आजाएंगी
जैसे उनको पढ़े बिना आज खाना गले से नहीं उतरेगा
अमृता प्रीतम जी की सर्वप्रसिद्ध कविता "मैं तेनु फ़िर मिलांगी" का extension लिखा है
लिखा भी नहीं बस कलम खुद ब खुद चली | मुझे पंजाबी आती भी नहीं , पढ़ते समय वह अटपटापन आप सब पकड़ लेंगे लेकिन ये लिखते समय किसी पूर्वजन्म की अनुभूति थी शायद!
अमृता जी की यह कविता उनके अंत समय में उन्होंने लिखी, जब लौ बस टिमटिमा भर रही थी - रूमी ने भी तो यही कहा था "“Out beyond ideas of wrongdoing and right doing,there is a field. I’ll meet you there."
तो क्या अंत में सारे कवि और प्रेमी एक ही सा सोचते हैं ?
क्या सब यही कहते हैं "फिर मिलेंगे"?? ?
Pasting below Amrita Ji's Epic Poem
मैं तैनू फ़िर मिलांगी
कित्थे ? किस तरह पता नई
शायद तेरे ताखियल दी चिंगारी बण के
तेरे केनवास ते उतरांगी
जा खोरे तेरे केनवास दे उत्ते
इक रह्स्म्यी लकीर बण के
खामोश तैनू तक्दी रवांगी
जा खोरे सूरज दी लौ बण के
तेरे रंगा विच घुलांगी
जा रंगा दिया बाहवां विच बैठ के
तेरे केनवास नु वलांगी
पता नही किस तरह कित्थे
पर तेनु जरुर मिलांगी
जा खोरे इक चश्मा बनी होवांगी
ते जिवें झर्नियाँ दा पानी उड्दा
मैं पानी दियां बूंदा
तेरे पिंडे ते मलांगी
ते इक ठंडक जेहि बण के
तेरी छाती दे नाल लगांगी
मैं होर कुच्छ नही जानदी
पर इणा जानदी हां
कि वक्त जो वी करेगा
एक जनम मेरे नाल तुरेगा
एह जिस्म मुक्दा है
ता सब कुछ मूक जांदा हैं
पर चेतना दे धागे
कायनती कण हुन्दे ने
मैं ओना कणा नु चुगांगी
ते तेनु फ़िर मिलांगी
भावनाओं से शब्द गढ़े जाते है..शब्दों के लिए भावनाएं नहीं।
ReplyDeleteबहुत सुंदरता से भावनाओं को गूँथ कर पिरोया है कविशा..और अच्छा लगा कि नीचे अमृता जी की मूल रचना भी रख दी..
बहुत अच्छा लिखती हो...लिखती रहो..पढ़ते रहना है
शुभकामनाएं
बहुत बहुत शुक्रिया
DeleteBig fan, Kaveesha ji. Keep writing. Love reading.
ReplyDeleteMany many Thanks for your appreciation and motivation Vaibhav Ji
ReplyDeleteI loved this new change, the font and style suits your style better!
Deleteappreciate your sharp sense of observation :) Thanks again
DeleteBhut sunder kavita likhi hai aapne
ReplyDeleteMai aapse nivedan krna chahungi ki aap mere kavitao ko pdhe
Mere post ki link
https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
This was amazing Kaveesha ji. Really really amazing.
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