दिल में ये तमन्ना उठती है
की काश कोई ऐसा मंज़र होता ,
जहाँ न कोई फ़िक्र होती न खलिश
बस खुशियीं से भरा अम्बर होता !
जो गम होता कोई
तो पास एक कन्धा होता ,
जिस पर, गिर कर , गर संभला जाये
तो उस पर कोई आक्षेप न होता
जहाँ सपने देखने का हौसला होता ,
जहाँ खुशियों का सिलसिला होता ,
जहाँ नीरसता परिस्थितियों से रूठ जाया करती
ऐसा ही सारा समां होता
दिल में ये तमन्ना उठती है
की काश
कोई ऐसा मंज़र होता !!
I just love this one..I remember it by heart...
ReplyDeleteI am awestruck!
ReplyDeleteAmazing...made me visit the world of dreams...
ReplyDeleteKASH KOI AISA MANZAR HOTA !!!
Kaash...
ReplyDeleteNice one....
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