नशा जब होता है , तो इक सुरूर सा छाता है
दोस्तों की महफिलों में कोई अनजाना लुभाता है
खुद को सँभालते हैं , पर दिल बहक बहक जाता है
मिलती हैं जो नज़रें ,तो उन्हें छुपाया जाता है
पढ़ लेते ही हैं वो , जिनसे कुछ कहना होता है
खुशियों से लबरेज़ महफिलों में, दिल का कोई कोना रोता है
कह उठते हैं जो दो लव्ज़, तो वाहवाह का समा हो जाता है
घबरा के ये दिल , फिर 'उस' पे अटक जाता है
सबकी नज़रें चुरा के, ये दिल फिर कुछ कहना चाहता है
बीते दिनों की खुशनुमा यादों में, खुद को डुबोना चाहता है
नशा जब होता है , तो इक सुरूर सा छाता है
नशे के सुरूर में ये दिल, तुमको वापिस पाना चाहता है
very nice..
ReplyDeletewell written MannA
like this is some thing really true.......u simply rokk gal...in love with the poem :)
ReplyDeletegooooood... this is something i really want to remember..as i have others..
ReplyDeletewah!
ReplyDeleteupar english poem padhne ke baad yeh toh kamaal hi ho gaya...
really it is unbelievable that these lines r frm the pen of a newcomer really the words r so clear ki lagta hai ki meri hi baat ho rahi hai
ReplyDeleteany body can connect to the situation in fact sab ke sath aksar aisa hota
really marvellous
More than Agree with PK. Yeh mohtarmaaan kum likhti hai par mashallah Kaal ka likhti hai,inhe aur likhana chahiye, apne aapse baate sahi yea kuch unkahi khayalaat sahi,yakeen hai humein jo bhi likhengi,Surror banake Mehfil rang layegi sahi
DeleteKisne kaha aapse hum kalam kam uthate hain , ye to waqt aur vajah ki zirah hai . jo lafzz hardam zubaan par nahi aate.
Deletewow!i fully agree with PK...although i dnt knw him..
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