वक़्त गुज़रता है , रिश्ते बदलते हैं
दिलों के साथ साथ , दिलों के डर भी बदलते हैं
किस्से, कहानियाँ, यादें बदलती हैं
शामों के साथ , फिर रातें बदलती हैं ,
एहसास बदलते हैं , अलफ़ाज़ भी बदलते हैं
इज्हारों के साथ , उम्मीदें बदलती हैं
इंसान और फितरतें भी ,
आखिर बदल जाते हैं ;
दिलों के साथ साथ , दिलों के डर भी बदलते हैं
किस्से, कहानियाँ, यादें बदलती हैं
शामों के साथ , फिर रातें बदलती हैं ,
एहसास बदलते हैं , अलफ़ाज़ भी बदलते हैं
इज्हारों के साथ , उम्मीदें बदलती हैं
इंसान और फितरतें भी ,
आखिर बदल जाते हैं ;
सिर्फ बदलाव ही तो है जो एक सा रहता है
इसके अलावा तो
सब कुछ बदलता है !!
Really nice imagination....and there is hold thruout the poem...Very nice...kudos...keep it up...:)
ReplyDeleteIts Growing on me. I feel that's the best part as being a poem or even if we see intent of this poem 'change' happens in everything so perception of a poem also changes, but if change is growth in right direction then what more we want. I am finding this poem as constant yet growing on me. A rare scenario.In true sense its remaining constant yet everything changing around & about it also.
ReplyDeleteThis goes in my all time favorite now & am sure it will remain in future too , am not at all exaggerating.Thanks.
mind blowing /...
ReplyDeleteवाह जी वाह
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