Friday, December 21, 2012

आवाज़

आवाज़ दी है, 
कुछ दूर तक तो गयी होगी 
तूने सुना होगा, कुछ आहिस्ता से, 
कुछ असर तो हुआ होगा; 

मेरी आवाज़ है अगर तेरे एहसास में 
तो कुछ तो उमड़ा होगा 
क्या हुआ जो मुझ तक तेरी आवाज़ नहीं पहुंची 
मैं सोचती हूँ , 
आवाज़ सुन कर मेरी 
तूने मुड कर , इधर उधर तो देखा होगा!!


With special remeberence and fond thoughts, this one came out in a jiffy of say 60 seconds, and not even in lone moments but right in middle of a hangout , in between the conversations! 
tells me how big a bluff-master a human's mind could be!! 

3 comments:

  1. kya baat .... :)

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  2. Meri aawaz hi pehchaan hai,
    Gar yaad rahe!
    -Gulzar Saab.

    Nice lines u carved there.

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  3. Na nafrat saza,
    Na ishq saza..
    Intezaar saza,
    Nazarandaazi saza..

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