आवाज़ दी है,
कुछ दूर तक तो गयी होगी
तूने सुना होगा, कुछ आहिस्ता से,
कुछ असर तो हुआ होगा;
मेरी आवाज़ है अगर तेरे एहसास में
तो कुछ तो उमड़ा होगा
क्या हुआ जो मुझ तक तेरी आवाज़ नहीं पहुंची
मैं सोचती हूँ ,
आवाज़ सुन कर मेरी
तूने मुड कर , इधर उधर तो देखा होगा!!
With special remeberence and fond thoughts, this one came out in a jiffy of say 60 seconds, and not even in lone moments but right in middle of a hangout , in between the conversations!
tells me how big a bluff-master a human's mind could be!!
kya baat .... :)
ReplyDeleteMeri aawaz hi pehchaan hai,
ReplyDeleteGar yaad rahe!
-Gulzar Saab.
Nice lines u carved there.
Na nafrat saza,
ReplyDeleteNa ishq saza..
Intezaar saza,
Nazarandaazi saza..