Showing posts with label complaint. Show all posts
Showing posts with label complaint. Show all posts

Wednesday, December 19, 2012

मेरा अज़ीज़ सामान

क्यों ऐसा होता है 
के कभी कभी घर से  निकलके 
बहुत दूर चलने के बाद 
याद आता है , के 
पीछे कुछ छूट गया 

कुछ ज़रूरी सा, कुछ अज़ीज़ सा 
जो संभाला था कई जतनों से 
वही बेहद कीमती सा, 
घर पर ही छूट गया 

अब् पीछे जाना मुश्किल है 
और आगे चलना भी मुनासिब नहीं 
क्या करूँ, दिल में बड़ी कश्मकश  है 

कुछ देर रुक जाती हूँ 
बीच रास्ते  में  अनमनी सी होकर थम जाती हूँ 
फिर कुछ सोच के, भारी मन से 
आगे बढ़ जाती हूँ 
पर मेरा मन , वहीँ छूट जाता है 

मेरा वह अज़ीज़ सामान , 
मुझे अब भी वापस बुलाता है 

Sunday, December 9, 2012

"बदलाव"


वक़्त गुज़रता है , रिश्ते बदलते हैं
दिलों के साथ साथ , दिलों के डर भी बदलते हैं
किस्से, कहानियाँ, यादें बदलती हैं
शामों के साथ , फिर रातें बदलती हैं ,
एहसास बदलते हैं , अलफ़ाज़ भी बदलते हैं
इज्हारों के साथ , उम्मीदें बदलती हैं
इंसान और फितरतें भी ,
आखिर बदल जाते हैं ;

सिर्फ बदलाव ही तो है जो एक सा रहता है
इसके अलावा तो
सब कुछ बदलता है !!



"Because only Change remains constant!!"






Tuesday, November 27, 2012

जाते जाते

सोचा था मैंने शायद होना मेरा ख़ुशी है तुम्हारी , 
ख़ुशी हुई जान के, की जाते जाते भी मैंने तुम्हे मायूस नहीं किया 


Monday, September 24, 2012

वैसे भी

http://bit.ly/QRtbhz
रास्ते तो हमारे रहने दो 
मंजिलें तो वैसे भी तुम्हारी हैं 
साथ रहना मुनासिब नहीं , 
हाथ थाम के चलना, 
उस में भी क्या शिकायत है
क्यूँ खामखा की दूरियां हैं 
क्या अब भी कुछ छुपा हुआ दरमियाँ है 
ये साथ ही है , जो कुछ भी है 
कहने को मेरा अपना 
जो आगे होना है, 
वो तो अभी से बेगाना है 
कहने दो ना जिसे जो कहना है 
जो मेरा है , 
वो तो वैसे भी तुम्हारा है 


Saturday, August 25, 2012

इरशाद किया है

जो बात बाहर आई है,
 न जाने कितने  दिनों से पक रही थी 
मुट्ठी तो बंद थी ,
मगर रेत फिर भी रिस रही थी 
ज़र्रा ज़र्रा समेत के,
 इन लव्जों को पिरोया है 
नज़्म नहीं ये तो,
 मेरे ज़ेहेन का  इक रोयाँ  है 
मिल जाये कोई 
जो साफ़ दिल से इल्तिजा करे 
पकी हुई भूख का
 ये तो पहला निवाला है 

There are moments when you have so many good things around you and you can’t capture them all and keep them forever, u can’t click a photograph or possibly u can’t take down the notes and all you can do is open up yourself to the limit even you don’t know. Hear it will all your senses and absorb the moment. Take mind pictures and just live the moment!!

This poem is inspired by one of my most eventful and candid conversation with Irshad Kamil (a renowned Poet/lyricist) And i could see that more or less all poets cross the same roads in their lives! Thereby naming this poem after his name!!