क्यों ऐसा होता है
के कभी कभी घर से निकलके
बहुत दूर चलने के बाद
याद आता है , के
पीछे कुछ छूट गया
कुछ ज़रूरी सा, कुछ अज़ीज़ सा
जो संभाला था कई जतनों से
वही बेहद कीमती सा,
घर पर ही छूट गया
अब् पीछे जाना मुश्किल है
और आगे चलना भी मुनासिब नहीं
क्या करूँ, दिल में बड़ी कश्मकश है
कुछ देर रुक जाती हूँ
बीच रास्ते में अनमनी सी होकर थम जाती हूँ
फिर कुछ सोच के, भारी मन से
आगे बढ़ जाती हूँ
पर मेरा मन , वहीँ छूट जाता है
मेरा वह अज़ीज़ सामान ,
मुझे अब भी वापस बुलाता है