Showing posts with label book. Show all posts
Showing posts with label book. Show all posts

Monday, December 31, 2012

पुरानी किताब

पुराने किस्सों से सराबोर 
पीले पड़  चुके पन्नो वाली उस किताब को 
मैं एक दिन यूँ ही  पलट के देख रही थी , 
हर पन्ने की सिलवट के साथ 
उस सिलवट की वजह सोच रही थी;

यादें ज्यादा थी और शब्द कम 
उस रात मैं भी न जाने क्या क्या सोच रही थी 

बहुत देर बाद 
जब यादों की नींद से जागी 
महसूस हुआ अब हकीकत में लौटना चहिये 
पन्ने पपड़ा गए थे 
मैंने किताब को किसी तरह बंद कर 
एक भारी ताले से दबा दिया 

पर उस रात बारिश हुई थी 
तेज़ हवा से ताला सरक गया था 
और 
एक अनचाहा सा पीला पन्ना 
मेरे सामने खुल गया था !!