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Wednesday, February 13, 2013

महफूज़ लड़ियाँ


Sandook


कुछ हर्फ़ पिरोये रखे थे,
लडियां बना कर ,
अरसों से , संदूक में महफूज़ छोड़े थे

सोचा था ,
सदियाँ बीतने के बाद ,
वक़्त की थोड़ी धूल चड़ने के बाद ,
इन लड़ियों का मोल बदल जायेगा ,
शायद थोडा और बेशकीमती हो जायेगा ;


BlackPearls 
पर वक़्त हमेशा नहीं उड़ता ,
थोड़ी धूल जमी ही थी ,
कि व्याकुल हाथ उन सहेजी लड़ियों को टटोलने लगे,

पाया लडियां बिलकुल वैसी थीं ,
अब सोचती हूँ ,
कल सुनार को दे आउंगी ,
शायद अभी सहेजने का वक़्त नहीं आया है