Thursday, May 24, 2018

मुँह का स्वाद

मुँह का स्वाद, कुछ बिगड़ा हुआ सा है
जैसे किसी ने तार चटा दिया हो
दिल की कड़वाहट, तालु से भी लगती है क्या भला..
जीवन की इस घडी को,
जैसे किसी ने खाने में मिला दिया हो!

बहुत कोशिश की ये स्वाद लोप हो जाये;
कभी मीठा बनाया, कभी कैरी फ़ाकी;
जाने कितने लीटर पानी भी डाला..
मगर ये अजीब सा स्वाद,
जैसे जाने का नाम ही नहीं लेता!

चाशनी जो पागी थी..
उस पर अब मक्खियों का अस्थायी निवास है,
और कैरी भी..
कुछ कुछ काली पड़ने लगी है;
मगर ये मुआ मुँह का स्वाद,
सुधरने का नाम ही नहीं लेता!

तुम्हें कुछ टोटका मालूम हो तो बताना
मुझे तो लगता है..
मैंने गलती से ज़िन्दगी चख़ ली है! 

Wednesday, May 16, 2018

Phases


People are just phases
In the longer phase called life
In the shorter span called phase
Each arrives and so do they pass
Giving you what it was here for
Taking from you what it was meant to
But the memories linger
For many phases to come up
Some are fragrant, some are not
Most are bitter but a few still sweet
But you got to understand
That ‘the’ phase has passed
The person is gone
Not far far away yet far away
And when you feel too happy
Remember,
People are phases
And this too shall pass!


Thursday, May 10, 2018

इन्ही बादलों में घुमड़ जाऊँ,
या इसी समंदर से लिपट जाऊँ;
संसार की साजिशें अब समझ नहीं आती
जी में आता है,
यहाँ से वापस न जाऊँ!
रंग बदलता है जीवन,
इसी समंदर के पानी जैसा ;
कहीं खुशनुमा हल्का नीला..
कहीं भयावह काला गहरा!
कभी सूरज आँख दिखाता है,
कभी यहीं पे चाँद मुस्कुराता है ;
मगर जीवन तो इस कश्ती जैसा,
अतिशय चलता जाता है..!
जी में आता है..
ये फ़लसफ़ा समझ पाऊँ!
इन्ही लहरों में सिमट जाऊँ
यहाँ से वापस न जाऊँ!


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