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Tuesday, December 18, 2018

मुझे याद है

मेरी ग़र्म हथेलियों में 
जब तेरी ठंडी लकीरें समाती थीं 
मुझे याद है, 
कुछ देर हो जाये तो पसीज सी जाती थीं 
दूसरे हाथ से झट से थाम लेते थे 
और धीरे से जींस में हाथ पोछ लिया करते थे 
वक़्त के साथ, छूट गए हाथ 
जो थामे थे कभी,हमेशा के लिए 
अब समझ नहीं आता, हथेली गर्म है या नहीं 
तेरी ठंडक से ही तो, इनमें जान आती थी

Thursday, May 24, 2018

मुँह का स्वाद

मुँह का स्वाद, कुछ बिगड़ा हुआ सा है
जैसे किसी ने तार चटा दिया हो
दिल की कड़वाहट, तालु से भी लगती है क्या भला..
जीवन की इस घडी को,
जैसे किसी ने खाने में मिला दिया हो!

बहुत कोशिश की ये स्वाद लोप हो जाये;
कभी मीठा बनाया, कभी कैरी फ़ाकी;
जाने कितने लीटर पानी भी डाला..
मगर ये अजीब सा स्वाद,
जैसे जाने का नाम ही नहीं लेता!

चाशनी जो पागी थी..
उस पर अब मक्खियों का अस्थायी निवास है,
और कैरी भी..
कुछ कुछ काली पड़ने लगी है;
मगर ये मुआ मुँह का स्वाद,
सुधरने का नाम ही नहीं लेता!

तुम्हें कुछ टोटका मालूम हो तो बताना
मुझे तो लगता है..
मैंने गलती से ज़िन्दगी चख़ ली है! 

Tuesday, March 15, 2016

अनमनी

अनमने जस्बात हैं, अनमने ख़यालात हैं

अनमने से दिन हैं, अनमनी सी शाम है

अनमनी सी मैं हूँ, अनमने हालात हैं

असमंजस है, कश्मकश है,

उधेड़बुन है और ढेरों आघात हैं;

अनमना मन है,

और अनमनी है सारी ये ज़िन्दगी

न सुकून है, न छींट भर भी विश्वास है

है तो बस, सब कुछ अनमना

यही मन है, यही अब संसार  है!  

Wednesday, December 23, 2015

लगता है सालों पुरानी बात है

तस्वीरें है कुछ मेरी तुम्हारी
अभी बस हाल फ़िलहाल की
रोज़ पलटती हूँ, हमें साथ देखने को
मगर,
लगता है सालों पुरानी बात है

लगता है जैसे अरसा गुज़र गया तुम्हें देखे हुए
कही चेहरा भूल जाऊं.. यूँ भी सोच लिया करती हूँ
तुम्हारा इंतज़ार होकर भी नहीं है
इतना लम्हा गुज़र गया तुमसे रूबरू हुए


हर दिन मानो इक साल जैसा है
बस खुद जोड़ लो कितने साल गुज़र गए;
वादे किये थे तुमने बस अभी कुछ दिन पहले
मगर,
लगता है सालों पुरानी बात है