मेरी ग़र्म हथेलियों में
जब तेरी ठंडी लकीरें समाती थीं
मुझे याद है,
कुछ देर हो जाये तो पसीज सी जाती थीं
दूसरे हाथ से झट से थाम लेते थे
और धीरे से जींस में हाथ पोछ लिया करते थे
वक़्त के साथ, छूट गए हाथ
जो थामे थे कभी,हमेशा के लिए
अब समझ नहीं आता, हथेली गर्म है या नहीं
तेरी ठंडक से ही तो, इनमें जान आती थी
जब तेरी ठंडी लकीरें समाती थीं
मुझे याद है,
कुछ देर हो जाये तो पसीज सी जाती थीं
दूसरे हाथ से झट से थाम लेते थे
और धीरे से जींस में हाथ पोछ लिया करते थे
वक़्त के साथ, छूट गए हाथ
जो थामे थे कभी,हमेशा के लिए
अब समझ नहीं आता, हथेली गर्म है या नहीं
तेरी ठंडक से ही तो, इनमें जान आती थी
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