कुछ शामें हुई होंगी,
जब दिल का कुछ बोझ तूने भी हल्का किया होगा
कुछ गुनगुनाया होगा,
कुछ अरमान सा दिल से निकाला होगा;
न ज़रूरत पड़ी होगी किसी नशे की,
क्युकी इश्क़ ही बेशुमार हुआ होगा!
तूने कुछ देखा होगा , मैंने कुछ सुना होगा,
दोनों को कुछ तो एहसास होगा.
कुछ शामें होंगी ऐसी तेरे पास भी,
जिनका ज़िक्र आज भी तू किया करता होगा
No comments:
Post a Comment