तेरे ज़िक्र में मेरा
ख़्याल नहीं
मेरे ख़्याल में तेरा ज़िक्र नहीं
किस मोड़ पे आ गए हाथों में हाथ लिए
एक दूसरे की फ़िक्र नहीं!
वक़्त नहीं,जस्बात नहीं
तू तू नहीं, मैं मैं नहीं;
ये वो दुनिया नहीं,
ये पहले जैसी ज़िन्दगी नहीं!!
मेरे ख़्याल में तेरा ज़िक्र नहीं
किस मोड़ पे आ गए हाथों में हाथ लिए
एक दूसरे की फ़िक्र नहीं!
वक़्त नहीं,जस्बात नहीं
तू तू नहीं, मैं मैं नहीं;
ये वो दुनिया नहीं,
ये पहले जैसी ज़िन्दगी नहीं!!
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