Wednesday, October 14, 2015

थोड़ी रेत लौटा आये हैं

हर बार जब जाते थे समंदर किनारे
थोड़ी रेत साथ लाते थे
यादों की, मुलाक़ातों की
कुछ धूल संग ले आते थे

इस बार जब गए थे समंदर किनारे,
थोड़ी रेत उसकी उसको,
लौटा आये हैं;
कितनी  हसीन थी पिछली ज़िन्दगी ,
वो  सारी, समंदर में छोड़ आये हैं!

किसी ने नहीं देखा  हमें ...
हम वहाँ से इस बार क्या लूट लाये हैं !
बस वो समंदर गवाह है,
हम इस बार उसका जादू साथ लाये हैं ...

जिसकी अमानत थी,
उसको वापस दे आये हैं ;
इस बार,
थोड़ी रेत लौटा आये हैं..!!




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