Thursday, August 1, 2019



कई रातें जागती बितायी हैं..
उन बेफ़िक्र सोती रातों की याद में!

तेरे हाथ का तकिया और गर्माहट की चादर;
ढूंढे नही मिलता किसी और कि पनाह में..!

दिन तो मुश्किल है मगर रात और भी मुश्किल
ग़मज़दा हूँ मैं अब खुद की ही याद में

तुम्हे याद हो तो बता देना मुझे भी
कैसी लगती थी मैं सोते हुए..
सुकून से तेरे पास में?

No comments:

Post a Comment