सुर्ख नज़रें बता रही हैं , तेरी ये सहर भी शमा सी रही
धुआं उठते देखा बस हमने , हरियल एक पल में बंजर हुई
हसरतों से जोड़ी एक एक पाई , छन से बिखरी पोटली हुई
सुर्ख नज़रें बता रही हैं, तू क्या से क्या हो गयी
धुआं उठते देखा बस हमने , हरियल एक पल में बंजर हुई
हसरतों से जोड़ी एक एक पाई , छन से बिखरी पोटली हुई
सुर्ख नज़रें बता रही हैं, तू क्या से क्या हो गयी
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