Monday, May 21, 2012



कुछ ख्वाब सुलगे होते हिं, जिन्हें हम दिल में दबाये रखते हैं 
आज लिख देंगे उन्हें इक कागज़ पर, क्या पता उड़ के वो पैगाम पहुँच जाये अपनी मंजिल तक 

No comments:

Post a Comment