Friday, December 30, 2011

लव्ह्ज़- ऐ-दर्द


कोई शिरकत है दिल में


कि आज तो क़यामत है


ये दिन भी है कुछ धुंधला सा


आज फिर किसी की रुवायत है


जो दर्द हैं दिल में


वो आँखों के मोहताज हैं


कुछ कहने की चाहत


आज है किसी बंद दरवाज़े में


बरसने दो इन आँखों को




शायद कुछ तो राहत मिले


ये दर्द है बड़ा हसीं


आता है कुछ ही खुशनसीबों के खजाने में .!






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