Thursday, March 3, 2011

रिश्ते


एक काफिला ही तो होते हैं ये रिश्ते
आते हैं , गुज़र जाते हैं
कभी एक जगह ठहर नहीं पाते
बंजारों से , बेगाने से होते हैं ये रिश्ते
कितने अपरिचित, कितने अनजान होते हैं ये रिश्ते
कुछ पल को मिलते हैं ,
एक गर्माहट , एक मुस्कान सी देते हैं
पर समय के साथ
ये काफिले फिर उठ कर चल पड़ते हैं
कभी दिल न लगाना इनसे, कभी आस न जगाना इनसे
क्युकी आखिर,
एक काफिला ही तो होते हैं ये रिश्ते !!

1 comment:

  1. बंजारों से , बेगाने से होते हैं ये रिश्ते
    कितने अपरिचित, कितने अनजान होते हैं ये रिश्ते

    बहुत खूब लिखा आपने. आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है..

    एक नज़र मेरी कविताओं के ब्लॉग पर डालें :
    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

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