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Sunday, May 1, 2016

चीज़ें

ये जो चीज़ें हैं न
मेरी तुम्हारी
जो इधर उधर बिखरी रहती हैं..
मेरा चश्मा, घर की duplicate ताली,
तुम्हारा wallet , गाडी की चाभी,
dressing table पे मेरे झुमके
और तुम्हारा perfume , जो तुम कभी जगह पे नहीं रखते
बाहर सूखते हम दोनों के towels
.
.
.
कितनी सारी चीज़ें,
समेट समेट के परेशां हो गयी हूँ,

आजकल नहीं दिखती तुम्हारी चीज़ें ,
मेरे सामान के नाम पे
एक छोटी डायरी होती है बस!

ये जो चीज़ें हैं न..,
मेरी तुम्हारी,

बहुत परेशां करती हैं |