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Thursday, April 26, 2018

तेरे इश्क़ के मकां

तेरे इश्क़ के मकां
बनते हैं उधड़ते हैं
तू रूबरू नहीं मगर तेरे ख्याल,
रोज़ मेरे संग चलते हैं!
हमारे गुज़रे ज़माने ही अब..
मयस्सर रहा करते हैं!
इक दिन नहीं जाता,
के तेरा इश्क़ मेरी ज़िन्दगी से,
न टकराये..
अब तो ये फैसले ही,
दरमियान रहा करते हैं!
दिन साल में तब्दील हो जाते हैं..
मगर तेरे इश्क़ के मकां,
रोज़ ही, बनते हैं उधड़ते हैं!

Thursday, February 8, 2018

इक बार



मेरे तसव्वुफ़ में
बस इक तेरा ही सबब रहता है
के तसव्वुर हो तेरा,
इसी खयालात का हर लम्स रहता है

न पाने की ख्वाहिश,
न जीतने की आरज़ू
बस दीदार करूँ तेरे बदले अक्स का इक बार
बस ये ही फलसफा रहता है!

फेर लेना तू नज़रें ..इक बार रूबरू होके
इस पूरे ज़लज़ले के बाद,
एक मुकम्मल रुखसती का तो...
हक़ बनता है!