तेरे इश्क़ के मकां
बनते हैं उधड़ते हैं
तू रूबरू नहीं मगर तेरे ख्याल,
रोज़ मेरे संग चलते हैं!
हमारे गुज़रे ज़माने ही अब..
मयस्सर रहा करते हैं!
इक दिन नहीं जाता,
के तेरा इश्क़ मेरी ज़िन्दगी से,
न टकराये..
अब तो ये फैसले ही,
दरमियान रहा करते हैं!
दिन साल में तब्दील हो जाते हैं..
मगर तेरे इश्क़ के मकां,
रोज़ ही, बनते हैं उधड़ते हैं!
बनते हैं उधड़ते हैं
तू रूबरू नहीं मगर तेरे ख्याल,
रोज़ मेरे संग चलते हैं!
हमारे गुज़रे ज़माने ही अब..
मयस्सर रहा करते हैं!
इक दिन नहीं जाता,
के तेरा इश्क़ मेरी ज़िन्दगी से,
न टकराये..
अब तो ये फैसले ही,
दरमियान रहा करते हैं!
दिन साल में तब्दील हो जाते हैं..
मगर तेरे इश्क़ के मकां,
रोज़ ही, बनते हैं उधड़ते हैं!