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Friday, May 1, 2020

वादा करो
ख़त लिखोगे
हमेशा
और नीचे
'हमेशा तुम्हारा'
के साथ
अपना अटपटा बच्चों वाला
Sign करोगे
वादा करो
ख़त लिखोगे
हमेशा


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कोफ्त होती है खुद पे, तुमसे बात करके
कोफ्त होती है तुमपे, जब तुम मुझसे बात नही करते

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तुम्हारी भी गली सुनसान रहती है अब
लगता है इश्क़ उसे भी छोड़ गया

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अपने ही ग़म काफी हैं मशगूल रहने के लिए
तेरे भी  बाँटने चले तो मशहूर न हो  जाएँ


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बासी सी बरसातें
कोरे रूखे राज़
रोज़मर्रा सी धूप
और वही पुरानी बात


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सच है ताउम्र तलाश की इन्तेहाँ नहीं होती
मगर ख़ूबसूरत से सफ़र की कुछ यादें साथ रहें
तो ज़रा सांस आती है

Monday, August 12, 2019

लम्बी रात

जब रात अँधेरी छायी थी, जब कोसों तक तन्हाई थी
जब शोर में दबी रुलाई थी , अश्कों ने महफ़िल सजाई थी
मैं चलते चलते रूकती थी और सोते सोते जगती थी
किस्मत से रुस्वाई थी पर याद तुम्हारी आयी थी

Thursday, August 1, 2019



कई रातें जागती बितायी हैं..
उन बेफ़िक्र सोती रातों की याद में!

तेरे हाथ का तकिया और गर्माहट की चादर;
ढूंढे नही मिलता किसी और कि पनाह में..!

दिन तो मुश्किल है मगर रात और भी मुश्किल
ग़मज़दा हूँ मैं अब खुद की ही याद में

तुम्हे याद हो तो बता देना मुझे भी
कैसी लगती थी मैं सोते हुए..
सुकून से तेरे पास में?

Tuesday, June 10, 2014

पुराना शेर

एक पुराना शेर याद आया 
और शेर जब पहली बार कहा था, 
वो ज़माना भी संग आया
भूली गलियों में वापिस भटकने को
अपने मन का
एक बार और मचलने का दिल हो आया
पुराने शेरों की क्या बात कह दी, 
उनसे जुड़ा हर एक अरमान याद आया!
बीते अरमानों का जो मैंने हलके से हाथ सहलाया, 
सच..
वही पुराना शेर, जो उस वक़्त यूँ ही कह दिया था,
मुझे आज याद आया!
इत्तेफाक से आज फिर कुछ ऐसा हुआ
कि दिल भर आया,
वही पुराना मौसम निकला;
आज उसने फिर से सब कुछ दोहराया
आज फिर दिल भर आया 
तो मुझे फिर,वही पुराना शेर याद आया!


Also pasting the so much talked about "पुराना शेर" here: 
"ये गम भी मुझे अज़ीज़ है, 
ये उन्ही की दी हुई चीज़ है"