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Tuesday, June 10, 2014

पुराना शेर

एक पुराना शेर याद आया 
और शेर जब पहली बार कहा था, 
वो ज़माना भी संग आया
भूली गलियों में वापिस भटकने को
अपने मन का
एक बार और मचलने का दिल हो आया
पुराने शेरों की क्या बात कह दी, 
उनसे जुड़ा हर एक अरमान याद आया!
बीते अरमानों का जो मैंने हलके से हाथ सहलाया, 
सच..
वही पुराना शेर, जो उस वक़्त यूँ ही कह दिया था,
मुझे आज याद आया!
इत्तेफाक से आज फिर कुछ ऐसा हुआ
कि दिल भर आया,
वही पुराना मौसम निकला;
आज उसने फिर से सब कुछ दोहराया
आज फिर दिल भर आया 
तो मुझे फिर,वही पुराना शेर याद आया!


Also pasting the so much talked about "पुराना शेर" here: 
"ये गम भी मुझे अज़ीज़ है, 
ये उन्ही की दी हुई चीज़ है"



Friday, June 6, 2014

वो जगहें


वो जगहें हम जहाँ से गुज़रे थे कभी
अब दोबारा जब रूबरू होंगी तो शायद वो होंगी
लोग अलग होंगे माहौल अलग होगा
शिर्कतें अलग होंगी और  शायद साथी भी अलग
तो दोबारा उन रास्तों को उस नज़र से देखना ही नहीं
गर देखा तो उम्मीद वही होगी
पर मंज़र अलग होगा