Thursday, February 25, 2016

कुछ शामें ऐसी भी


कुछ शामें हुई होंगी,

जब दिल का कुछ बोझ तूने भी हल्का किया होगा

कुछ गुनगुनाया होगा,

कुछ अरमान सा दिल से निकाला होगा;

न ज़रूरत पड़ी होगी किसी नशे की,

क्युकी इश्क़ ही बेशुमार हुआ होगा!

तूने कुछ देखा होगा , मैंने कुछ सुना होगा,

दोनों को कुछ तो एहसास  होगा.

कुछ शामें होंगी ऐसी तेरे पास भी,

जिनका ज़िक्र आज भी तू किया करता होगा