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मंजिलें तो वैसे भी तुम्हारी हैं 
साथ रहना मुनासिब नहीं , 
हाथ थाम के चलना, 
उस में भी क्या शिकायत है
क्यूँ खामखा की दूरियां हैं 
क्या अब भी कुछ छुपा हुआ दरमियाँ है 
ये साथ ही है , जो कुछ भी है 
कहने को मेरा अपना 
जो आगे होना है, 
वो तो अभी से बेगाना है 
कहने दो ना जिसे जो कहना है 
जो मेरा है , 
वो तो वैसे भी तुम्हारा है 
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SUPERB!
ReplyDeleteTNX :D
DeleteVery well penned, explaining the core thought of ' रास्ते तो हमारे रहने दो
ReplyDeleteमंजिलें तो वैसे भी तुम्हारी हैं '. You are back with the Bang ;)
i keep cuming back every now n then!! thnks though :)
Deletevery nice
ReplyDeletewow .. very well written :)
ReplyDeleteit's superbly splendid mam! :)
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